खुले आसमान के निचे
चारों ओर पहाड़ों से घीरे
बहती झील को देखते
नदी का पानी बहते
गाय भैंस घांस चरते
रिम झिम रिम झिम बारिश की बूंदें
झरने के गिरते पानी से उत्पन्न तुषार होते
कभी ढक जाता आकाश बादलों से
कांपते हैं लोग बारिश में भीगने से
थोड़ी-सी सूरज की किरणों से
दिख जाता है इन्द्रधनुष ये
पेड़ों पर छुपते पंछी ये
भय से चिंतित हो जाते
मनुष्य सभी बहार निकल आते
और इस प्रकृति का माझा लेते
अनेक रूप होते हैं सृष्टि के
उसमे से यहाँ भी एक है
सर्जक हमें इस से उदहारण देते
विषम परिस्थितियों का सामना करना सिखाते
हर क्षण हमारी हिम्मत बंधाते
एवं आगे बढ़ने की प्रेरणा देते
तिनके कभी पेड़ का रूप नहीं समझते
बदल कभी आसमान की ऊंचाई नहीं जानते
झरने गिरने के लिए कभी सहारा नहीं मांगते
नदी बेहेने के लिए कभी रास्ता नहीं देखती
आज का इंसान इस प्रकृति की ओर एक बार भी नहीं देखता ...
चारों ओर पहाड़ों से घीरे
बहती झील को देखते
नदी का पानी बहते
गाय भैंस घांस चरते
रिम झिम रिम झिम बारिश की बूंदें
झरने के गिरते पानी से उत्पन्न तुषार होते
कभी ढक जाता आकाश बादलों से
कांपते हैं लोग बारिश में भीगने से
थोड़ी-सी सूरज की किरणों से
दिख जाता है इन्द्रधनुष ये
पेड़ों पर छुपते पंछी ये
भय से चिंतित हो जाते
मनुष्य सभी बहार निकल आते
और इस प्रकृति का माझा लेते
अनेक रूप होते हैं सृष्टि के
उसमे से यहाँ भी एक है
सर्जक हमें इस से उदहारण देते
विषम परिस्थितियों का सामना करना सिखाते
हर क्षण हमारी हिम्मत बंधाते
एवं आगे बढ़ने की प्रेरणा देते
तिनके कभी पेड़ का रूप नहीं समझते
बदल कभी आसमान की ऊंचाई नहीं जानते
झरने गिरने के लिए कभी सहारा नहीं मांगते
नदी बेहेने के लिए कभी रास्ता नहीं देखती
आज का इंसान इस प्रकृति की ओर एक बार भी नहीं देखता ...
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